आप अपने युवा समय में काफी संवेदनशील थे आपके भीतर अंग्रेजो के लिए काफी क्रोध था | आप उस समय मुस्लिम समय और इतिहास को नाटको के जरिये पेश करते थे | आपकी शुरूआती शायरी में इसी कारण से नाटक के डायलाग की झलक मिलती है |
Best 30+ shayari of jaun elia in hindi जॉन एलिया की बेहतरीन चुनिंदा 30+ शायरी व ग़ज़लें jaun elia shayari in hindi , shayari of jaun elia in hindi , top 30 shayari of jaun elia in hindi
आपके करीबी सय्यद मुमताज सईद बताते है के एलिया मदरसे भी जाते थे और वहा आपने उर्दू और पर्सियन के अलावा अंग्रेजी और हिब्रू पर भी अच्छी पकड़ कर ली थी |
आपके जवानी के समय में आप हिन्दू-मुस्लिम युद्ध में जुड़ गये जो की बाद में देश के बटवारे का कारण बना | आप 1957 में पकिस्तान चले गये और कराची को अपना घर बनाया | कुछ समय बाद आप काफी प्रसिद्द हो गये | शायर पीरजादा कासिम कहते है " जान अपनी भाषा के प्रति काफी प्रतिबद्ध थे और यह सब उनके संस्कृति से जुड़ा हुआ है |" आपका पहला शायरी संग्रह "शायद" 1991 में प्रकाशित हुआ जब आप 60 वर्ष के थे | इस संग्रह का परिचय अपने आप में उर्दू साहित्य का सबसे अच्छा प्रारूप माना जाता है | इसमें आपका मूल्याकन समय के फेर में, आपकी दार्शनिकता दिखाई देती है | आपका दूसरा शायरी संग्रह 2003 में प्रकाशित हो पाया जिसका नाम यानी था | इसके बाद आपके विश्वासपात्र खालिद अंसारी ने तीन संग्रह छपवाए जिनके नाम थे "गुमान" ( 2004), "लेकिन"( 2006) और गोया ( 2008) |
जॉन के बारे में लिखते हुए कुमार विश्वास कहते हैं कि जॉन एक ख़ूबसूरत जंगल हैं, जिसमें झरबेरियां हैं, कांटे हैं, उगती हुई बेतरतीब झाड़ियां हैं, खिलते हुए बनफूल हैं, बड़े-बड़े देवदारू हैं, शीशम हैं, चारों तरफ़ कूदते हुए हिरन हैं, कहीं शेर भी हैं, मगरमच्छ भी हैं।
जॉन आपको दो तरह से मिलते हैं, एक दर्शन में एक प्रदर्शन में । प्रदर्शन का जॉन वह है जो आप आमतौर पर किसी भी मंच से पढ़ें तो श्रोताओं में ख़ूब कोलाहल मिलता है। दर्शन का जॉन वह है जो आप चुनिंदा मंचों पर पढ़ सकते हैं और श्रोता उन्हें अपने घर ले जा सकते हैं। कुमार विश्वास की यह विवेचना जॉन पर सटीक बैठती है, आप भी पढ़ें जॉन के लिखे ये शेर
मैं जो हूँ 'जौन-एलिया' हूँ जनाब
इस का बेहद लिहाज़ कीजिएगा
अब पढ़ते है
जॉन के बेहतरीन शेर
बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
Bahut najdeek aati ja rahi ho
Bichhdane ka irada kar liya kya
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बिन तुम्हारे कभी नहीं आयी
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है
Bin tumharr kabhi nahi aayi
Kya meri neend bhi tumhari hai
उस से भी अब
उस से भी अब कोई बात क्या करना
ख़ुद से भी बात कीजे कम-कम जी
Us se bhi ab koi baat kya karna
Khud se bhi baar kije kama kam
मैं ख़ुद नहीं हूं और कोई है मेरे अंदर
जो तुम को तरसता है, अब भी आ जाओ
Mai khud nahi hu aur koi hai mere andar
Jo tum ko tarsata hai ab aa bhi jao
कोई नहीं यहां खामोश
कोई नहीं यहां खामोश, कोई पुकारता नहीं
शहर में एक शोर है और कोई सदा नहीं
Koi nahi yahan khamosh koi pukarta nahi
Shahar me ek shor aur koi sada nahi
ख़ामोशी से अदा हो रस्मे-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूं करें हम
Khamoshi se ada ho rasme duri
Koi hangama barpa kyun kare ham
हरिक हालत के
हरिक हालत के बैरि हैं ये लम्हे
किसी ग़म के भरोसे पर न रहियो
Karik halat ke bairi hai ye lamhe
Kisi gam ke bharose par na rahiyo
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ये भी पढ़े
अब हमारा मकान किस का है
हम तो अपने मकां के थे ही नहीं
Ab hamara makan kis ka hai
Ham to apne makan ke the hi nahi
जा रहे हो तो जाओ
जा रहे हो तो जाओ लेकिन अब
याद अपनी मुझे दिलाइयो मत
Ja rahe ho to jao
Yaad apni mujhe dilaiyo mat
हम आंधियों के बन में किसी कारवां के थे
जाने कहां से आए थे, जाने कहां के थे
Ham aandhiyo ke ban me kisi karwan ke the
Jane kahan se aaye jane kahan ke the
और तो हमने क्या किया
और तो हमने क्या किया अब तक
ये किया है कि दिन गुज़ारे हैं
Aur to hamne kya kiya ab tak
Ye kiya ki din guzare hai
मेरी जां अब ये सूरत है कि मुझ से
तेरी आदत छुड़ाई जा रही है
Meri jan ab ye surat hai ki mujh se
Teri aadat chhudai ja rahi hai
दिल जो दीवाना नहीं
दिल जो दीवाना नहीं आख़िर को दीवाना भी था
भूलने पर उस को जब आया को पहचाना भी था
Dil jo diwana nahi aakhir ko diwana bhi tha
Bhulane par us ko jab aaya ko pehchana bhi tha
काम की बात मैंने की ही नहीं
ये मेरा तौरे-ज़िंदगी ही नहीं
Kaam ki baat Maine ki hi nahi
Ye mera taure jindagi hi nahi
कभी-कभी तो
कभी-कभी तो बहुत याद आने लगते हो
कि रूठते हो कभी और मनाने लगते हो
Kabhi kabhi to bahut yaad aane lagte ho
Ki ruthte ho kabhi aur manane lagte ho
मैं अब हर शख़्स से उकता चुका हूं
फ़क़त कुछ दोस्त हैं, और दोस्त भी क्या
Mai ab har shakhs se ukta chuka hun
Fakt kuch dost hai aur dost bhi kya
आप बस मुझ में ही तो हैं, सो आप
आप बस मुझ में ही तो हैं, सो आप
मेरा बेहद ख़याल कीजिएगा
Aap bas mujh me hi to hai so aap
Mera behad khyal kijiyega
तू भी चुप है मैं भी चुप हूं ये कैसी तन्हाई है
तेरे साथ तेरी याद आयी क्या तू सचमुच आयी है
Tu bhi chup hai mai bhi chup hu ye kaisi tanhai hai
Tere sath teri yaad aayi kya tu sachmuch aayi hai
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उन से वादा तो कर लिया लेकिन
अपनी कम-फ़ुर्सती को भूल गया
Unse se wada to kar liya lekin
Apni kam fursati ko bhul gaya
दिल कि आते हैं जिस को ध्यान बहुत
ख़ुद भी आता है अपने ध्यान में क्या
Dil ki aate hai jis ko dhyaan bahut
Khud bhi aata hai jis ko dhayan me
ऐ क़ातिलों के शहर बस इतनी ही अर्ज़ है
मैं हूँ न क़त्ल कोई तमाशा किए बग़ैर
E katilo ke sahar bas itni hi arj hai
Mai hun n katl koi tamasha kiye bagair
वो मिले तो ये पूछना है मुझे
अब भी हूँ मैं तिरी अमान में क्या
यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या
Wo mile to ye puchhna hai mujhe
Ab bhi hu mai teri aman me kya
Yu jo tak ta hai aasman ko tu
Koi rahta hai aasman me kya
हम जी रहे हैं कोई बहाना किए बग़ैर
उस के बग़ैर उस की तमन्ना किए बग़ैर
Ham ji rahe hai koi bahan akiye bagair
Us ke bagair us ki tamanna kiye bagair
में भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ
की बस खुद को तबाह कर लिया
और मलाल भी नहीं
Mai bhi bahut ajeeb hu itna ajeeb hu
Ki bas khud ko tabah kar liya aur malal bhi nahi
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
Ek ajab haal hai ki ab us ko
Yaad karna bhi bewafai hai
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कौन से शौक़ किस हवस का नहीं
ये दिल है मेरी जान जो तेरे बस का नहीं
Kaun se shauk kis hawas ka nahi
Ye dil hai meri jaan jo tere bas ka nahi
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
Kaise kahen ki tujh ko bhi ham se hai vasta
Tu ne to ham se aaj tak koi gila nahi kiya
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
की जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
Us gali ne ye sun ke sabr kiya
Ki jane wale yahan ke the hi nahi
जिसे गुजारा न जा सकें
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है।
Jise guzara na ja sake
Ham ne wo jindagi guzari hai
कितने ऐश से रहते होंगे न जाने कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उनको को भाते होंगे
Kitne ais se rahte honge n jane kitne itrate honge
Jane kaise wo log honhe jo unko bhate honge
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क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं
Kya taklluf kare ye kahne me
Jo bhi khush hai ham us se jalte hai
नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी
तो फिर दुनिया की परवाह क्यूँ करें हम
Nahi duniya ko jab parwaah hamari
To fir duniya ki parwaah kyu kare ham
मैं ने हर बार तुझ से मिलते वक़्त
तुझ से मिलने की आरज़ू की है
Maine har baar tujh se milte waqt
Tujh se milne ki aarju ki hai
तेरे जाने के बाद भी मैं ने
तेरी ख़ुशबू से गुफ़्तुगू की है
Tere jane ke baad
Teri khushbu se guftagu ki hai
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
Loo bhi chalti thi to bade shaba kahte the
Paanv failaye andhero ko diya kahate hai
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
Unka anjaam tujhe yaad nahi hai
Aur bhi log the Jo khud ko khuda kahte the
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अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
Ab na mai hu na baki hai jamane mere
Fir bhi mashhoor hai saharo me fasane tere
Jindagi hai to naye jakhm bhi lagenge
Ab bhi baki hai kai dost purane mere
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